नाम की महिमा

नाम 🌺 इस संसार में अलग-अलग मान्यताओं के लोग हैं। कोई सत्य को ही सत्य मानता है, कोई असत्य को ही असत्य मानता है, 🌺 कोई अज्ञानतावश सत्य को असत्य मानता है। कोई अज्ञानतावश ही असत्य को सत्य मानता है। 🌺 कोई आधे-अधूरे ज्ञान अथवा अपने मन की गति के कारण उपदेश /ज्ञान पूरे मन से नहीं सुन पाने के कारण कभी सत्य को सत्य मान लेता है। कभी असत्य को असत्य मान लेता है। तो कभी सत्य को भी असत्य मान लेता है। अथवा कभी असत्य को ही सत्य मान लेता है। 🌺 एक छोटा सा उदाहरण है, सत्य घटना है बहुत से लोग सत्संग में शामिल हुए, अब उनमें से कुछ लोगों का मन तो इतना अत्यधिक गतिमान था कि उन्हें यह भी नहीं दिखा कि गुरूजी ने चश्मा पहन रखा था, और वे लोग आपस में चर्चा करने लगे कि गुरूजी ने चश्मा नहीं पहन रखा था, ऐसा नहीं है कि उनकी आंखें कमजोर थी, उनकी आंखें नहीं उनका मन अत्यंत गतिमान था, जबकि वास्तविकता तो यह थी कि उन्होंने चश्मा पहना हुआ था और वे उनके पास से भी गुजरे थे। 🌺 दूसरा उदाहरण यह है कि गुरूजी ने शिष्यों को खूब समझाया कि आप कर्म करोगे तो आपको उसका पर...