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मकर संक्रांति का अध्यात्मिक संदेश अध्यात्मिक भावार्थ

 सर्वे भवंतु सुखिन: ⚘ मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें  ⚘ जो गुरु उपदेश के अनुरूप हो ग्रहण करें ⚘ यह संसार द्वंद्वात्‍मक है  अधिकतर सब कुछ दो पहलुओं में बंटा हुआ है  ⚘ मकर संक्रांति भी हमें यही स्‍मरण कराती है  रात्रि के पश्‍चात दिन  कृष्‍ण पक्ष के पश्‍चात शुक्ल पक्ष सर्दी के बाद गर्मी   दक्षिणायण के बाद उत्‍तरायण  ⚘ जिस तरह से जन्‍म-मरण का चक्र चलता है उसी तरह यह परिवर्तनीय चक्र सतत चलता ही रहता है  ⚘ उत्‍तरायण - सूर्य  दक्षिण दिक्षा से पुन: उत्‍तर की ओर गमन करता हुआ दिखाई देता है इसे ही उत्‍तरायण कहा जाता है  ⚘ दक्षिणायण - सूर्य उत्‍तर दिशा से पुन: दक्षिण की ओर गमन करता हुआ दिखाई देता है तो इसे दक्षिणायण कहते हैं।  ⚘ यानि कि प्रतिदिन सूर्य के उदय की दिशा में परिवर्तन होता दिखाई देता है  ⚘ 6 महिने सूर्य उत्‍तर से दक्षिण की ओर गति करता दिखाई देता है  तथा  6 महिने सूर्य दक्षिण से उत्‍तर की ओर गति करता दिखाई देता है  ⚘  ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश उत्‍तारायण है। ⚘ तो ...