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Showing posts from January, 2021

मन MAN

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 मन पर विशेष  🌺प्राणी अपने प्रभु से पूछे 🌺  🌺किस विधि पाऊं तोए🌺,  🌺प्रभु कहे तू मन को पा ले🌺 🌺पा जाएगा मोय।🌺y वह अदृश्यन शक्ति दिखायी नहीं देती है, इसलिये उसे अगोचर कहा है। इस भजन में प्रश्न किया है कि है ? 🙏प्रभू कौनसी विधी है? जिससे मैं आपको पा सकता हूं?  यानि  आपका साक्षात्कार कर सकता हूं,  आपकी अनुभूति कर सकता हूं।  तो प्रभू अंतर प्रेरणा से  अथवा  गुरू के माध्यम से उत्तर देते हैं कि -  मन को पाले तो मुझे पा जायेगा।  🌺यानि के जिसके मन में  अहिंसा ( मैत्री. करूणा, मुदिता, उपेक्षा) सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शौच, संतोष, तप, स्वाध्‍याय, ईश्‍वर प्राणिधान के भाव हैं, वे मेरे निकट हैं, 🌺 जिनके मन में इन्द्रियों के भोग बसे हुए हैं, विकार बसे हुए हैं, वे मुझ से दूर हैं। 🌺मैत्री -प्रसन्न लोगों से मैत्री का भाव रखना व ईष्र्यालू लोगों से से तटस्थ रहना।  🌺करुणा -दुखी लोगों प्रति करुणा का भाव रखना।  🌺मुदिता-अच्छे, सदाचारी, गुणवान, पुण्यवान लोगों को देखकर हर्षित होना।  🌺उपेक्षा-यदि कोई दुराचा...

माया

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माया इस संसार में सबसे तीव्र गति यदि किसी की है तो वह  मन की है और मन ही है  जो कि मनुष्य के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक इस माया रूपी नष्वर संसार में मनुष्य को उलझाये रखता है। 🌸  जब इस मन को ध्यान के माध्यम से  उलझाया जाता है,  तब जाकर इसकी गति कुछ धीमी होना प्रारम्भ होती है 🌺 जब इस मन का निरन्तर ध्यान रखने का अभ्यास किया जाता है,  तब यह स्थिर होने लग जाता है और  अंतत: पूर्णतः शांत होता जाता है और 🌺  जब मन पूर्णतः शांत होता है  तब मनुष्य को वास्तविक स्वरूप  चेतना यानि कि आत्मा/परमात्मा की अनुभूति होती है। 🌸 बहुत से लोग कहते हैं कि यदि सभी धर्म से जुड़ गये तो फिर यह संसार कैसे चलेगा। 🌸 ऐसे लोग संसार की चिंता का बहाना करते हैं, जबकि वास्तविकता तो यह है कि हमारे मन की प्रवृत्ति इंद्रियों मे रत रहने की है, संसार की ओर गति करने की है, 🌸 जैसे कि बारिश का पानी अथवा उपर से नीचे की ओर पानी आसानी से नीचे की ओर डाला जा सकता है, लेकिन  जब उसी पानी को  उपर पहुंचाने की बात आती है  तो वह पानी बिना ऊर्जा खर्च किये उपर नहीं पहुंचाया ...