संगति और आध्यात्मिक लक्ष्य
हमारी आध्यात्मिक उन्नति इस बात पर बहुत निर्भर है कि
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हमारी संगति कैसी है।
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यदि अमीर लोगों के साथ हैं तो
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हमेशा धन - दौलत के बारे में सोचते रहेंगे।
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यदि शराबियों, जुआरियों, झगड़ालू के साथ है
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तो हम उनकी तरह शराबी, जुआरी, झगड़ालू बन सकते हैं।
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महान चीनी विचारक मेंजियस के जीवन का यह वृत्तांत यहां प्रासंगिक है।
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मेंजियस की मां एक बुद्धिमान महिला थी।
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अपने पुत्र मेंजियस के भले के लिए उसने जीवन में कई बार अपना घर बदला।
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शुरू - शुरू में उनका घर एक कब्रिस्तान के निकट था।
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कब्रिस्तान में वह अक्सर लोगों को विलाप करते हुए देखता था
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तो वह भी उनकी तरह हरकतें किया करता था।
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मां ने तुरंत घर बदल कर बाजार में घर लिया,
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कुछ दिन बाद उसने देखा कि मेंजियस किसी दुकानदार की तरह अभिनय कर रहा था।
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अपनी चीजों को दुकानदार की तरह फैला लेता था,
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दूसरों से उसी तरह बात करता जैसे दुकानदार अपने ग्राहकों से या दूसरे व्यापारियों से घुमा – फिरा कर करते थे।
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मां विचलित हो उठी और उसने फिर से घर बदल कर स्कूल के पास लिया।
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कुछ दिन बीते, तो मां ने देखा कि उसका बेटा विद्वानों की भांति व्यवहार करने लगा।
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वह नये - नये विषयों को पढ़ता , और उन्हें सीखने की कोशिश करता था।
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उसकी मां बहुत खुश थी।
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मेंजियस बड़ा होकर एक महान चीनी विद्वान बना।
हमारी मंजिल को प्राप्त करने के लिये हमें सदाचारी लोगों की संगति प्राप्त होगी
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तो हमारा लक्ष्य आसान हो जायेगा
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इसके विपरीत दूराचारी, कामी, क्रोधी, लालची, मोही, अहंकारी, रागी, ईर्ष्यालु की
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संगति मिलेगी तो हमारा पतन निश्चित है।
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अत: हमारी यही कामना है कि हमें इस पथ पर सात्विक उर्जावान व्यक्तियों का साथ मिले और
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हम स्वयं उर्जावान होते हुए भटके हुए ऐसे दुराचारी
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जो अज्ञान या संगति के कारण दुराचारी हैं,
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उन्हें सत्य पथ पर चलने हेतु प्रेरित कर सकें।
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