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सत्यम शिवम सुंदरम भावार्थ 36 भागों में

सत्यम,शिवम, सुंदरम भाग 1 जो गुरू उपदेश के अनुरूप हो ग्रहण करें यह प्रकृति सत रज तम का मिश्रण है   मन जब त्रिगुणातीत होता है यानि निष्काम सात्विकता में समाहित हो जाता है तब स्थितप्रज्ञ की अवस्था  आती है  तब उस  अदृश्य शक्ति का साक्षात्कार होता है  हम चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारे साधारण तौर पर अधिकतर लोग  सत्य का मतलब केवल  सत्य वाणी से लगाते हैं  लेकिन सत्य शब्द अत्यंत व्यापक हैं  इस एक सत्य में सब कुछ समाहित हैं   अध्यात्म की यात्रा तामसिकता से सात्विकता में समाहित होने की यात्रा है  तामसिकता ऐसा गड्ढा है  जिसमें एक क्षण में कूदा जा सकता है  लेकिन सात्विकता वह चढ़ाई है  जो समाप्त होती हैं सबसे ऊंची चोटी पर जाकर  यानी कि एवरेस्ट तक पहुंचना   यानी एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने  में जितना परिश्रम  लगता है वह  सात्विकता में समाहित होने की तरह हैं लेकिन एवरेस्ट की चोटी से भी कहीं अधिक परिश्रम  मनुष्य को सात्विकता में समाहित होने के लिए करना पड़ता है   यही समझाने के लिए तीर्थ...