मृत्युंजय महाजनो येन गतः स पन्थाः

 सर्वे भवंतु सुखिनः 

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मृत्युंजय

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महाजनो येन गतः स पन्थाः

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सुगम सहज मार्ग  यह है कि 

जिन्होंने घोर तपस्या कर उस परम तत्व को जान लिया, 

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तथा जिस 

रास्ते 

पथ 

मार्ग 

पर वे 

निर्विषयी 

निर्विकार 

निष्पाप 

महान जन चले, 

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उसी मार्ग पर जो  चलता है 

वह मृत्यु पर विजय पाता है 

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वह स्वयं हंसते हुए मृत्यु का वरण करता है 

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जैसे कि चोर आता है चोरी करके ले जाता है  

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तो उसी तरह एक दिन अचानक ही मृत्यु रूपी चोर प्राणों का हरण करता है 

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लेकिन जो 

निर्विकारी 

निर्विषयी 

निष्पाप 

महात्माओं के पद चिन्हों पर चलते हुए 

निर्विषय 

निर्विकार 

निष्पाप बन जाता है वह स्वयं हंसते हुए शरीर का त्याग करता है 

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अकाल मौत नहीं मरता 

जो अकाल मौत मरता है 

वह काल की मौत मरता है 

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जो समाधि में अंतिम सांस लेता है वह स्वयं ही अपना अंतिम सांस छोड़ कर इस संसार से 

बिना दुख 

बिना पीड़ा 

बिना कष्ट के विदा होता है 

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ब्रह्मनिष्ठ संत-महात्माओं, ज्ञानियों और निर्मल हृदय वाले महापुरुषों के जीवन दर्शन का अनुसरण  ही ऐसा सरल साधन है, जो अज्ञान, 

कल्पित, 

भ्रामक 

धारणाओं से मुक्ति दिलाकर 

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मनुष्य के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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मन, वाणी और कर्म  से जिसका आचरण पवित्र है, 

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जो किसी भी प्रकार के 

विषय विकार  पाप  आदि कर्म से मुक्त जितेंद्रिय है, 

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ऐसे महापुरूषों के जीवन दर्शन को अपने जीवन में आत्मसात अथवा समाहित करने से कल्याण  संभव हो पाता है 

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उस परमात्मा की परम अनुकंपा से इस संसार में  अनेको महात्मा इस संसार में अवतरित हुए हैं 

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लेकिन जो काल के जाल में फंसा है 

माया के जाल में फंसा है 

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वह अपने अहंकार के कारण 

अपनी सही गलत सभी बातों को सही मानता है और 

ऐसे मन वाला जो भी कर्म करता है 

वह कर्म काल से ग्रसित होता है

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लेकिन जो 

ज्ञान के माध्यम से ध्यान के माध्यम से 

निष्काम सदाचरण के माध्यम से 

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अपने मन को शुद्ध कर लेता है 

तब उसे सत्य और असत्य दोनों स्पष्ट दिखाई देते हैं 

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जो उस समान ज्ञान को नहीं मानता 

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जो सब महात्माओं की वाणी से निकला है 

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वही काल /माया के जाल में है 

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सभी ने कहा है 

कामना /वासना /आसक्ति से परे होना होगा 

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निष्काम भाव से  सत्य में समाहित होना होगा

यानि

सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप जाके हिरदे सांच है ताके हिरदे आप 

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सत्यमेव जयते

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अहिंसा में समाहित होना होगा

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यानि

जो तोको काटे बोये

वाही बोय तू फूल 

तोको फूल को फूल है 

वाको हे त्रिशूल

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पराया धन हड़पने की भावना से दूर होना होगा 

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अपने जीवनसाथी तक सीमित होना होगा 

फिर अंततः उस एक परम साथी तक सीमित होना 

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कामी क्रोधी लालची इनसे भक्ति न होय भक्ति करे कोई सूरमा जाति वरन कुल खोय

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एक कनक और कामिनी

जग में बड़े फंदा

जो इनमें ना बंधा 

वही दाता में बंधा

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एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक कुत्ते ने किसी से ब्रेड छीन कर एक अपाहिज को ब्रेड खिलाया

तो उस कुत्ते में जो दया भाव था ऐसा दया भाव मन में उपजे 

ऐसे जरूरतमंद की मदद करें जिसे रोटी भी नसीब नहीं हो रही हो 

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मन इंद्रिय 

दूर्विचार  से दूर रहे 

साईं इतना दीजिए जामे कुटुम्ब समाय 

मैं भी भूखा ना रहूं साधु न भूखा जाए 

ऐसा संतोष /

ऐसी दान भावना मन में उत्पन्न हो 

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अपने से बड़ों के प्रति और अपने से छोटों के प्रति कर्तव्यों का पालन करना

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अपने कर्मों का निरीक्षण करना 

अपने कर्मों पर नजर रखना कि

कर्म प्रभु अर्पित करने लायक है या नहीं 

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नशे में रहते हुए नहीं होश में रहते हुए कर्म करना 

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कोई मदिरा पीकर के नशे में चूर होता है 

लेकिन मनुष्य का मन तो ऐसा है विकारों की मदिरा पीकर ऐसा मदहोश रहता  है 

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उसे पता ही नहीं रहता है कि वह क्या कर रहा है 

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जो जाग जाता है वह काल के जाल से बच जाता है 

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जो सोता ही रहता है 

जो नशे में है 

मदहोश है

उसे काल यानी मृत्यु कभी भी कल मैं बदल सकती है 

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यानी जिसका काल आता है तो वह कल में परिवर्तित हो जाता है

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 जो शरीर कभी दृश्य मान था वह पंचतत्व में विलीन हो जाता है 

अंतर इतना है कि महात्मा का शरीर विलीन होता है तो ऐसा होता है कि बार-बार जन्म मरण के चक्र से पृथक हो जाता है और 

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जो काल के द्वारा मृत्यु को प्राप्त होता है 

वह बार-बार इस संसार में आता जाता रहता है 

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इस संसार में जो भी आत्मा से महात्मा में परिवर्तित हुआ उनका एक ही मंत्र था 

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सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् 

दुख भाग भवेत्

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सबका भला हो

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