ध्यान पर प्रेरणादायक छोटी सी कथा

 ध्यान एक कर्म है 

जिसके द्वारा मन को 

वश में किया जा सकता है

एक व्यक्ति को एक जिन्न मिला।


जिन्न ने कहा 

मैं आपका सब काम मुफ्त में कर दूंगा 

बस मुझे काम चाहिए

 यदि मुझे काम नहीं मिला तो मैं पहले तो तोड़फोड़ शुरू करूंगा


 फिर तुम्हें समाप्त कर दूंगा


 व्यक्ति उसे ले गया

 काम बताएं 

जिन्न ने सब काम निपटा दिए 


फिर जिन ने कहा काम बताएं?


 व्यक्ति घबरा गया


 जिन्न ने तोड़फोड़ शुरू की 


वह व्यक्ति बचने के लिए बाहर भागा 


एक साधु वहां से गुजर रहा था उसने उस घबराए व्यक्ति को देखा और उससे पूछा क्यों भाग रहा है


 उसने बताया कि 

वह जिन्न कार्य नहीं देने पर  

मुझे मार देगा 


साधु ने कहा आने दो 


मैं कहूं वैसा कहना 


जिन्न आया 


साधु ने कहा इससे कहो एकण बल्ली भूमि में गाड़ दे 


जिन्न  ने  एक बल्ली भूमि में गाड़ दी 


फिर साधु ने कहा कि अब इससे कहो कि 

इस पर चढ़े और उतरे 


यही इसका काम है 


जब काम कराना हो तो करा लेना और नहीं हो तो इसको यही काम बता देना कि चढ़ो और उतरो 


तो ज्ञान के अनुसार इस मन का ध्यान रखने पर 


इस मन को एक जगह एकाग्र करना ही इसे वश में करने का एकमात्र रास्ता है 


इसलिए कर्म बड़ा है और 


कर्म से बड़ा है ज्ञान 


ज्ञान लंगड़ा है स्वयं नहीं चलता।


कर्म अंधा है जिस पर ज्ञानरूपी लंगड़े को बिठाने पर ही मार्गदर्शन प्राप्त होता है 


यानी जब अंधे के कंधे पर ज्ञानरूपी लंगड़ा बैठा होगा और  मनुष्य ज्ञान के अनुसार कर्म करेगा 


तब यह मन वश में आता है और जब मन बस में आ जाता है तो मन शांत हो जाता है 

आनंदित हो जाता है 

परमात्मा से निकटता बढ़ जाती है।

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