समय की कीमत

हम समय की कीमत को पहचाने 


जिस से पहले कि 

हमारी यह सांसे पूरी हो जाए 


परम सत्य का साक्षात्कार कर 

अपना जीवन धन्य करें 


उस साक्षात्कार तक पहुंचने का रास्ता 


सत्य से होकर गुजरता है 


अहिंसा से होकर गुजरता है 


अस्तेय (चोरी नहीं करना) से होकर गुजरता है 


ब्रह्मचर्य (यानी प्रभु की चरिया में जीना) से गुजरता है


 अपरिग्रह (यानी कि व्यर्थ विचारों से दूर तथा सक्षम हो तो दूसरों की मदद करना) से होकर गुजरता है


 तन, मन और वाणी की शुद्धि से होकर गुजरता है


 संतोष से होकर गुजरता है 

(यानी  साईं इतना दीजिए जामे कुटुम समाय मैं भी भूखा ना रहूं साधु न भूखा जाए तो यह संतोष है और फिर भी यदि प्यास नहीं बुझती तो यह असंतोष है) 


 तप से होकर गुजरता है (यानी हम से जुड़े सभी का ध्यान रखना लेकिन मन को उस परमात्मा से जोड़े रखना)


स्वाध्याय से होकर गुजरता है (हम जो भी कर्म कर रहे हैं जो भी हमारे मन में विचार चल रहा है , जो भी हमारी वाणी से निकल रहा है   उसका ध्यान रखना वह सात्विक हो तामसिक नहीं)


ईश्वर प्राणी धान से होकर गुजरता है (सब कुछ उसका है जो भी कर रहे हैं सब निष्काम भाव से उसको अर्पित करना। 


इनकी पालना से ही इस वक्त का सदुपयोग हो पाता है नहीं तो 

यह वक्त ऐसे ही गुजरता रहता है 

पिछले जन्म में भी यह वक्त गुजर गया था  

इस जन्म में भी यह वक्त गुजर रहा है  

और अगले जन्म में भी यह वक्त गुजर जाएगा 


इस वक्त की कदर नहीं करने के कारण ही 

गुरु वाणी की अवज्ञा करने के कारण ही


 मनुष्य बार-बार इस संसार में जन्म लेता है और बार-बार मृत्यु को प्राप्त होता है

जीसस का कथन है 

तुम सारे संसार को पा लो और स्वयं को गवा दो तो तुमने कुछ भी नहीं गवाया 

 तुम खुद को पा लो और सारा संसार गवा दो तो तुमने कुछ भी नहीं गवाया


चाणक्य ने कहा सारे संसार की संपदा छीन ले कोई

 कोई हर्ज नहीं 

मेरी बुद्धि जागृत रहें 

मेरा विवेक बना रहे

 तो मैं समझूंगा असार छिना

 सार शेष है

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